मंगलवार, 14 जून 2016

काँच के शामियाने : सुचेता शर्मा जी के विचार

सुचेता शर्मा जी का बहुत शुक्रिया
आप नायिका के दर्द में भीग गईं और उसे दुख से लोहा ले, सुख के दिन वापस लाते देख खुश भी हुईं...यानि उपन्यास डूबकर पढ़ा .
                             काँच के शामियाने
 Fb पर रोज़ ,अक्सर किसी न किसी की timeline पर प्रिय Rashmi Ravija रचित " कांच के शामियाने "उपन्यास का ज़िक्र पढ़ने को मिल जाता है
यूँ बहुत ज़्यादा तो नहीं पढ़ती हूँ,पर fb पर ही अच्छी रचनाओं की चर्चा होती रहती है, उत्सुकतावश ऎसी बहुचर्चित पुस्तकों को पढ़ने की जिज्ञासा होती है,तो online order कर के अवश्य पढ़ती हूँ
हालांकि मैं दुःखद कहानियाँ,serials यहाँ तक movies तक देखने से बचती हूँ. कई दिन तक impact रह जाता है दिलो दिमाग पर शायद कुछ हद तक guilty conscious भी हावी हो जाती है क़ि अपने आस पास इतना कुछ बुरा घटित हो रहा है और हम चाह कर भी रोक नहीं पा रहे हैं


कुछ ऐसी ही त्रासदायक कथा है जया की,जो सालों "अपनों" द्वारा ही सताई जाती रही जिसे उसने अपनी नियति मान कर स्वीकार भी कर लिया.उसकी व्यथा,दर्द,मानसिक शारीरिक यंत्रणा को खूबी से चित्रित किया है रश्मि ने,या यूँ कहें कि दर्द की स्याही में डुबो करअपनी सधी हुई लेखनी से एक उपन्यास में,एक ज़िन्दगी की तमाम वेदना black and white में उंडेल कर रख दी है


जया मात्र कहानी की ही पात्र नहीं है,हमारे आस पास कई ऐसी दुखद जीवंत कहानियाँ बिखरी होती हैं,बेहतर है यदि हम इन innocent angels के लिए कुछ सार्थक,ठोस करें.


उपन्यास पढ़ने के बाद,बहुत मानसिक टेंशन रहा कुछ दिन,और संयोग ही कि एक book fair में अचानक ही रश्मि से मुलाक़ात हो गई और उनसे सीधे शिकायत कर दी कि इतनी pain क्यों दिखाई नायिका के जीवन में ,कैसे कोई इतना दर्द सह सकता है.......खैर, हक़ीक़त यही है कि कई मासूम "अपनों" द्वारा प्रताड़ित होते हैं जब तक वो खुद अपनी ज़िन्दगी की लगाम अपने हाथों में नहीं ले लेते......मुश्किल होता है पर असम्भव नहीं

2 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (17-06-2016) को "करो रक्त का दान" (चर्चा अंक-2376) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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