मंगलवार, 30 नवंबर 2010

डा.कलाम से एक मुलाक़ात....मेरी नहीं ...मेरी ममता भाभी की

अपनी ममता भाभी का  जिक्र मैं कई बार अपनी पोस्ट में कर चुकी हूँ...लेखन की दुनिया में वापसी उनके सतत प्रोत्साहन से ही संभव हुआ. अपने पहले ब्लॉग का नाम...उसका परिचय सब ,पहले उन्हें ही दिखाया...उनके आश्वासन पर ही मूर्त रूप दिया उसे . वे लगातार मेरा उत्साह -वर्द्धन करती रहती हैं. पहले तो नियमित टिप्पणियों के माध्यम से भी अपने विचार बताती रहती थीं. पर आजकल वे काफी व्यस्त हैं.फिर भी मेरी सारी पोस्ट और कहानियाँ वे जरूर पढ़ती हैं.

कुछ ही महीने पहले उन्होंने रायपुर के   DPS  स्कूल में अंग्रेजी शिक्षिका के रूप में ज्वाइन किया है. कल ही फेसबुक पर उनकी फोटो डा. कलाम के साथ देखी और उनसे आग्रह कर डाला कि 'प्लीज़ प्लीज़...इस मुलाक़ात का ब्यौरा वे लिख कर मुझे भेजें.' इसे मैं अतिथि पोस्ट के रूप में प्रकाशित करना चाहती हूँ. और घोर आश्चर्य बिना एक ड्रम मक्खन लगाए जरा सी मनुहार से वे मान गयीं. उनके शब्दों में ही पूरा  विवरण.

अतिथि पोस्ट : ममता कुमार

क्रीम साड़ी में भाभी
उस दिन पूरे स्कूल  में गहमा-गहमी थी,आखिर डा. कलाम  आ रहे थे ,सारी टीचर्स  बच्चे सभी उत्साहित  थे ।लेकिन मेरी कुछ वैसी प्रतिक्रिया नहीं थी. इन VIP `s के आने से होता भी क्या है? बहुत सारा हन्गामा,बहुत सारा excitement और finally बहुत सारी problem । दर्शन तो इनके ऐसे होते हैं जैसे तिरुपति मे बालाजी के दर्शन के लिए घंटो लाइन में  खडे रहो और फिर दर्शन के नाम पर एक झलक।

लेकिन डॉक्टर कलाम  ने मेरी पूरी सोच ही बदल दी। एक तो वो काफी समय पर आये,(भारतीय समय को ध्यान मे रखते हुए) और आकर काफी लोगो से व्यक्तिगत रूप से  मिले।हम सारी टीचर्स  red carpet के एक तरफ़ पंक्तिबद्ध  खडी थीं । थोडी थोडी दूर पर रुक कर डा. कलाम  सब से कुछ  न कुछ  बात कर रहे थे। मुझसे  उन्होने पूछा "Are you a great teacher ?"अपनी क्लास  मे  मै बच्चो को कई  बार डपट  लगाती हूँ  कि साधारण प्रश्न का भी वे उत्तर नहीं देते ।लेकिन उस समय मुझे  भी कुछ नही सूझा । जब मेरे बगल से 'संकरी' (सह-शिक्षिका ) ने कहा "trying to be " तब जाकर कुछ समझ  मे आया। डा. कलाम  को शायद उत्तर  मुझसे  ही चाहिए था।वह् मुझे  देखकर फिर बोले "hmmmm ?"
मैने कह दिया "Trying to be with the guidance of our seniors "{after all ,Principal  वही खड़े  थे :)) फिर उन्होने एक ग्रीक टीचर  की कहानी सुनायी ,सॉरी  ,नाम मुझे  याद नही क्योकि तब भी मुझे  समझ   नही आया था।आखिर डा. कलाम  भी तो हमारे अन्य दक्षिण भारतीय वासियों  की तरह  अपने खास accent मे english बोलते हैं। उन्होने कहा "There was a great greek teacher ....................He said once ,"give me a child for seven years ,after that no God no devil can change him ,....that is the confidence that you  have ." इतना कह कर God bless you  कह कर वह आगे बढ़ गए

.जाने के बाद भी एक सुखद एहसास बाकी रहा क्योंकि उनका एक ख़ास अंदाज है ,वो लोगो से इस अंदाज में बात करते है जैसे वह इंसान उनके लिए कितना ख़ास है. इसी तरह हम सब पर अपना जादू बिखेरते हुए वे स्टेज  पर चले गए,वहां पर वैसे तो हर चीज को वे बहुत gracefully लेते रहे पर यह बहुत स्पष्ट था कि वे बच्चों से interact करने में ज्यादा interested हैं.और जब उनकी स्पीच का समय आया तो पूछिये मत.......इतनी energy इतना commitment शायद ही आज तक किसी में देखा हो मैंने. Posh English schools से लेकर economically weaker section के बच्चों तक को involve करके सबको ऐसा एहसास दिलाया जैसे वे ख़ास उसी इंसान से बाते कर रहे हैं. हम सब की  तालियाँ बंद होती उसके पहले ही वे वहां से निकल गए ,अगला कार्यक्रम मेडिकल कॉलेज में होना था जिसका समय हो चला था .
बस मेरी तरफ से इतना ही ,मैं कोई writer  तो हूँ नहीं कि इस incident को खूबसूरत शब्दों के लिफाफे में डालकर आपके सामने रखूँ बस जो हुआ वही लिख दिया.

--- ममता कुमार 

(पिछली पोस्ट पर एक बेकार की बहस ने सारा ज़ायका बिगाड़ दिया और मैं कुछ भी नहीं लिख पायी...ऐसे में भाभी की भेजी ये पोस्ट एक खुशनुमा झोंके की तरह लगी....शुक्रिया भाभी :)
एकाध दिन में अगली पोस्ट लिखती  हूँ.)

33 टिप्‍पणियां:

  1. इतना सुन्दर आलेख लिखने के बाद लिखा कि मैं राइटर नहीं हूँ, जय हो।

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  2. हे नमस्ते दी
    पहले तो ममता भाभी को बधाई, जिन्हें ऐसी शख्सियत से करीब से मिलने का मौका मिला। कैसा होता है टीचर, कितनी खूबसूरती से उन्होंने बताया। कुछ वर्ष पूर्व कलाम जी जब पानीपत में आए थे, तब एक बच्चे ने उनसे गुरुमंत्र पूछा। तब उन्होंने मालूम क्या कहा
    Sweat, Sweat and Sweat!!
    और हां...। आपके लिए, मस्त रहने का, व्यस्त रहने का।

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  3. प्रवीण भाई
    अपुन का स्टाइल येईच्च है
    हा हा
    एक प्रभाव शाली लेखन

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  4. lo kallo baat, raipur k DPS school k teacher ki report aapke paas hai aur mai yahan jhakh mar raha hu...
    khair reshtedari badi chij hai naa...

    ;)

    aapki mamta bhabhi ko badhai jinhone is jivit kivandanti se milne ka mauka mila, han mai kalam sahab ko jivit kivandanti hi kahta hu.... kynki aage chalkar vah kivandanti hi kahlayenge.....

    ja k milna padega DPS me aapki mamta bhabhi se, basharte SARDAR ji ijajat de dein to... ;) ab sardar ji kaun, ye aapki mamta bhabhi se puchhiyega ;)

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  5. निश्चित रूप से स्मरणीय और स्मृति मंजूषा में संग्रहणीय संस्मरण ! और विश्वास के साथ कह सकती हूँ कि आपकी आपकी ममता भाभी जी भी बहुत elegant और impressive होंगी तभी उनका चेहरा देख कर ही डॉ. कलाम उनके व्यक्तित्व की तह तक पहुँच गये ! उन तक मेरी हार्दिक बधाई एवं अभिनन्दन अवश्य प्रेषित कर दीजियेगा ! बहुत मनभावन लगा यह संस्मरण !

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  6. @ भाभी जी :)
    अरे आप तो हमारी राजधानी में पीढियां गढ़ने के लिए आई हुई हैं , प्रणाम ! आपका अनुभव कुछ मायनों में खास है...

    एक तो ये कि राजनेताओं के प्रति आपकी अपनी सोच से डाक्टर कलाम का व्यक्तित्व भिन्न निकला ! दरअसल उनकी सादगी , विनम्रता ,काम के लिए कमिटमेंट वगैरह वगैरह गुण उन्हें राजनेता होने ही नहीं देते...और फिर जैसे ही वे आपसे मिले , उनके 'राजनेता जैसा' होने का आपका भ्रम टूट गया ! मतलब ये कि मुलाक़ात से पहले की आपकी ठंडी प्रतिक्रिया राजनेताओं के प्रति आपके मोह भंग की अभिव्यक्ति करती हैं ! इसलिए कलाम साहब से आपका मिलना सुखद अनुभव होना ही था !

    दूसरा ये कि आप भाषा की शिक्षिका हैं पर जल्द ही आपके पल्ले ये बात पड़ गयी कि भाषा पर स्थानीयता का जो भी असर पड़ता है उससे सही बात , सही समय पर , सही जगह पहुँचती नहीं ! वर्ना ऐसा नहीं है कि कलाम साहब की बात का त्वरित जबाब आपके पास नहीं था !

    कुल मिलाकर बड़ा ही सुन्दर संस्मरण है , वैसे भी फोटो देख कर साफ़ हुआ कि आपने इन क्षणों को भरपूर जिया है !

    @ ब्लॉग मालिक ,
    प्रस्तुति के आपका शुक्रिया !

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  7. डॉक्टर कलाम के बारे में जब भी पढ़ा , उनके प्रति मन में श्रद्धा और बढ़ जाती है ...सत्ता के सर्वोच्च शिखर पर ऐसे प्रतिनिधियों की बहुत आवश्यकता है ...
    बच्चों से जिस खुशमिजाज अंदाज़ से वो मिलते हैं और उन्हें प्रोत्साहित करते हैं , वह वाकई दिलचस्प और प्रेरणादायक होता है ...यहाँ बात बड़ों से मिलने की है ....ममता भाभी के लिए यह अवसर अविस्मर्णीय रहा होगा ....शुक्रिया कि इस महान व्यक्तित्व की एक झलक फिर दिखा दी ...!

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  8. ab aur kitna sundar hona chahiye ......kalam sahab ke baare me sunna hamesha achha lagta hai

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  9. :)
    मैंने तस्वीर तो कल फेसबुक पे ही देख ली थी....और ये भी एक अंदाज़ा सा था की शायद पोस्ट आ सकती है, और देखिये सुबह सुबह ही पोस्ट मिल गयी :)

    वैसे डॉक्टर अब्दुल कलाम मेरे लिए शुरू से प्रेरणादायी रहे हैं...उनकी किताब "अग्नि की उड़ान" पहली हिन्दी किताब थी(कोर्स के किताबों से अलग) जो मैंने पढ़ा था..और तब से ही उनका जबरदस्त प्रशंशक बन गया..

    ये पोस्ट भी बहुत अच्छी है...एकदम सहज और बेहतरीन...

    अंतिम में प्रवीण जी की टिप्पणी दोहराना चाहूँगा -
    "इतना सुन्दर आलेख लिखने के बाद लिखा कि मैं राइटर नहीं हूँ, जय हो।"

    :)

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  10. कभी कभी ऐसा ही होता है जब आप किसी बहुत बड़े व्‍यक्‍ितत्‍व से मिल रहे होते हैं। जवाब ही नहीं बनता कि क्‍या कहा जाए। कुछ लोग होते ही ऐसे है जो अपना प्रभाव छोड जाते हैं। ममता जी का संस्‍मरण बहुत ही श्रेष्‍ठ रहा, आप दोनों को बधाई।

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  11. रोचक संस्मरण लिखा है। कलाम जी तो मुझे भी काफी पसंद हैं। उनके विचारों में एक खास किस्म की नवीनता देखी है मैंने।

    ममता जी की इस अतिथि पोस्ट को पढ़ते हुए मन में आया कि क्यों नहीं ममता जी को भी ब्लॉगजगत में लाया जाय...एक नियमित ब्लॉगर के तौर पर :)

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  12. कलामजी ऐसी शख्सियत है जो उर्जा से भर देते है मिलने वाले हरेक इंसानों को |
    भाभी ने बहुत ही खूबसूरती से प्रेरक संस्मरण लिखा है |
    आपको और भाभी को बधाई और आभार |

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  13. ममता जी को डॉ कलाम से मिलने के लिए बधाई। लेखन तो उनका भी सुन्दर है। बीच बीच में अपने अनुभव हमसे भी साझा करते रहें।
    घुघूती बासूती

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  14. डॉ. कलाम साहेब का जिक्र आते ही मन आदर से भर जाता है.. एक संग्रहनीय आलेख.. ममता भाभी जी को हमारी ओर से बधाई एवं शुभकामना !

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  15. बहुत अच्छा लगा ममता जी का संस्मरण पढ़ना। कलाम साहब हैं ही इतने प्रेरणादायी कि उनसे मिल कर कोई भूल ही नहीं सकता। वैसे ममता जी उनकी सुनायी कहानी में उस टीचर का नाम थोर्न्डाइक है और वो असल में मनोवैज्ञानिक था

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  16. डॉ कलाम के बारे में ये कहावत एकदम सटीक बैठती है "फलों से लदा वृक्ष हमेशा झुका होता है" और उनके दर्शन पाने वाले सभी लोगों के मुंह से यही सुना है कि वह बहुत विनीत और डाउन टू अर्थ हैं.
    आपकी ममता भाभी तो कमाल हैं ..इतना अच्छा लेख लिखा और कहती हैं कि लेखक नहीं हूँ :) लगता है उनपर डॉ. कलाम का असर हो ही गया :)

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  17. आप सब लोगों का बहुत-बहुत शुक्रिया...
    सतीश जी, आपके अनुरोध में मैं भी शामिल हो...अपील करती हूँ, भाभी से ...वे भी ब्लॉग बनाने के बारे में सोचे तो सही..फिर तो ब्लॉग बन ही जायेगा.

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  18. @अनीता जी,
    बहुत बहुत शुक्रिया..आपकी टिप्पणी का...और उस शिक्षक का नाम बताने का भी :)

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  19. डाक्टर कलाम का व्यक्तित्व ही ऐसा है जहाँ सब बौने हो जाते हैं और ऐसी पर्सनैलिटी से मिलने पर तो शब्द भी खामोश हो जाते हैं…………महान लोगो की हर बात मे कोई ना कोई संदेश छुपा होता है।

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  20. ममता जी अगर आप राइटर नहीं हैं तो ये हाल है। होतीं तो ...
    जो हैं वो जलेबी की तरह का आलेख लिखते हैं और हम उनके लिखे की भूल-भुलैया में हिचकोले खाते समझने की कोशिश करते रहते हैं।
    यहां तो दिल से निकली बात है और सीधी सादी जुबान में सो सीधे दिल में घुसती है।

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  21. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  22. एक तो कलाम साहब से मिलना ही अपने आप में बहुत ही ख़ुशक़िसमती है। उस पर उनका सानिध्य तो ... जैसे सोने में सुहागा। और उस पर आपकी ममता जी,भाषा की सादगी, सफाई, प्रसंगानुकूल शब्‍दों का खूबसूरत चयन, जिनमें निश्छल मन के शब्दो का प्राचुर्य है। ये आपकी भाषिक अभिव्‍यक्ति में गुणात्‍मक वृद्धि करते हैं।
    आपको तो अब इस ब्लॉग पर हर मंगलवार आना ही होगा, ये हमारी मांग है।

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  23. @मनोज जी,
    आपकी मांग में हम भी शामिल हैं :)..मंगलवार का दिन उनके लिए सुरक्षित रख देते हैं.

    मॉडरेशन पहले से चख कर परोसने के लिए नहीं है....बस यह देखने के लिए कि कहीं कंकड़-पत्थर गन्दगी...ना साथ चली आए...क्यूंकि उस से सबका समय नष्ट होता है...बेनामी प्रोफाइल बना लोंग बेकार की बहस में घसीटने की कोशिश करते हैं...और उतना समय मेरे पास नहीं है.

    साथी ब्लॉग र्स की कोई टिप्पणी नहीं रोकी मैने...इतना तो विश्वास है..कि वैचारिक असहमतियां कितनी भी हों...वे कीचड़ नहीं उछालेंगे...कुछ लोंग जबरदस्ती तुकबन्दियाँ कर ब्लॉगर बन बैठे हैं...फिर भी अपने नाम से कमेन्ट करने की उनकी हिम्मत नहीं होती...पर कभी अपने नाम का पहला अक्षर तो कभी अंतिम दो अक्षर लिख..संकेत जरूर दे देते हैं...Its sheer disgusting..yuck

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  24. सार्थक और सराहनीय प्रस्तुती....शानदार ब्लोगिंग.....

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  25. सबसे पहले ममता जी को बधाई ...डा० कलाम से मिलने की और उनसे बातचीत करने की ...वरना अतिथियों से कहाँ बात हो पाती है ...बहुत अच्छा संस्मरण ..प्रेरणादायक ...ऐसे सुन्दर संस्मरण को पढवाने के लिए आभार

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  26. oh! रश्मि जी अब यहां भी approval के बाद ही छपेगा (दिखेगा)।

    अरे भाई पिछली पोस्ट पर जो भी बेकार की बहस हुई हो उसमें मेरा कोई हाथ नहीं था। यक़ीन मानिए पिछले ८-१० पोस्टों से आपके ब्लॉग पर आना नहीं हुआ है।

    अगर आपका ज़ायका किसी कुक ने बिगाड़ दिया तो इसका मतलब कि अब आप पहले से चख कर ही खाया करेंगी।

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  27. क्या बात है रश्मि. शानदार मुलाकात करवाई हमारी भी, भाभी और कलाम साहब से.
    ठीक ही सोच रही थीं, ममता भाभी, इन वीआईपीज़ के आने से मुसीबतें ही ज़्यादा होती हैं, हां आने वाला कलाम साहब जैसा हो तो अलग बात है.

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  28. कलाम साहब को जितना जाना हूँ , उनके प्रति एक श्रद्धा पनपती है ! हमारे विश्वविद्यालय वे अपने राष्ट्रपति काल के दौरान आये थे , और हम खुश हुए थे उनको देखकर - सुनकर ! उनका कहना आज भी गूंजता है - जेएनयू इस मॉडर्न नालंदा !!

    ममता जी को मुलाक़ात के लिए बधाई ! रोचक वर्णन के लिए और भी !
    ऐसी प्रिय-मूर्तियों के सान्निध्य में रहने पर आप की सहज सी रोचक वर्णन शैली का राज समझ आ रहा है ! ऐसी परिस्थिति में - 'कोई कवि बन जाय सहज संभाव्य है' !

    और हाँ , ममता जी को रेगुलर लिखने का आग्रह हमारा भी ! आभार !

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  29. सबसे पहले रश्मि का धन्यवाद मेरे जैसे non -writer टाइप आदमी से भी कुछ लिखवा लेने के लिए ,और उससे भी ज्यादा आप सब का धन्यवाद जो आपने मेरा लिखा appreciate किया.सचमुच बहुत ख़ुशी हुई आप सबकी बातें पढ़कर ,जितनी डॉ.कलाम से मिलकर हुई थी उससे बस थोड़ी ही कम ........ब्लॉग लिखना तो आप जैसे talented लोगों का काम है,मेरे जैसे लोग तो अच्छा लिखा पढकर ही खुश हो जाते हैं.एक बार फिर से आप सबको thanks a million !!!

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  30. First of all, I would like to apologise for not able to type/write in Hindi and I don't have the excellent vocabs, as used by otheres in the comments.

    Dr. Kalam, is a Personality, who is, in real practical sense, not from the contemporary society of politicians & bigwigs! An instinct generation... So meeting a rare personality like Dr Kalam, is indeed like a dream come true!

    Ms Mamta, though being a teacher of English language, has expressed herself and her feelings in such plain, simple and exquisite manner, which is "Kabile Tareef"!! She depicts the quality of expression like some English Professors (like Mr Bachchan, most commonly known) who has terrefic command over language and skill of expression in Hindi as well! She has been honest enough in depicting the pre & post meeting experience and accepted & conveyed beautifully the awe of the aura of such personality Dr Kalam, wher she fumbles in answering his question! I feel she can write articles and stories on a regular basis, her thoughts will be worth reading!!

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  31. mamta jee aap badbhaagee hai jo jameen par itnee jordar hadti se mile aur rashmi mujhe hai na ye saubhaagya nahee mila ki jameen par mil sakoo. unnoohooo. meree kalam saahab se mulakat plane mai hui ab achanak hui to koi photo nahee hai. believe karogee na.

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